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Pandit For NAVGRAH SHANTI PUJA

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Some improper planetary position in the natal horoscope of an individual is known as Dosha or Ashubha Yoga or is called negative influence. Due to these doshas, people fall into depression, loss in business, problems in career, impediments in education, health problems, etc. This inauspicious period may last for the period of the respective Maha Dasa of the respective Graha. However, this can be overcome with proper Navgrah Shaanti Puja and Navgrah Shaanti Homa.

As per the ancient texts like Kashyap Samhita, Vashitha Samhita and Narada Samhita, the purpose of the Navgrah Shaanti Puja is to counter the effects of any negative astrological effects of the nine planets. Generally, in every person’s horoscope, we can find some good Grahas and some bad Grahas. The situation of this Grahas in the right house is very important for one to experience a good life. However, in some cases, while these celestial bodies keep moving, they fall in the wrong house/s. In such circumstances, the personal and professional life of a person is badly affected.

The nine Grahas or planets situated in our natal horoscope control our fortune, our Karmas, and their results or outcomes. Each of these nine planets exerts an influence in our lives, which is called Dasa and it can be known from one’s natal horoscope. Navgrah Puja is undertaken to reduce the negative effects and improve the positive energies of a person. Generally, the all-purpose Navgrah Shaanti Puja is for getting relief from all inauspicious Doshas in the natal horoscope.

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Puja Description: Swastivachan, Shaanti Path, Sankalp, Ganesh Sthapana, Kalash Sthapana, Navgrah Sthapana, Brahma Sthapana, Agni Sthapana, Gauri and Ganesh Pujan, Punyavachan, Brahman Varan, Navgraha Yantra Pujan, Recitation of Beej Mantra of all the nine planets (Surya 7000 Japa, Chandra 11,000 Japa, Mangal 10,000 Japa, Rahu 18,000 Japa, Guru 19,000 Japa, Shani 23,000 Japa, Budh 9000 Japa, Ketu 18,000 Japa, Shukra 16,000 Japa for each planet respectively only in the special Puja), Shaanti Daan (donation) for each planet, Homa with Dashansh recitation of Beej Mantra of planets, Tarpan, Marjan and then Purnahuti, Aarti and Prasad.Pandit for navgrah Puja Benefit Provides relief from disharmony and prevents loss of wealth. Pandit for navgrah Puja Benefit Removes hurdles and obstacles leading a smooth path to success. Pandit for navgrah Puja Benefit Overcoming the Doshas and other Ashubha yoga’s associated with Pandit for navgrah Puja Benefit all the nine planets in the natal horoscope. Pandit for navgrah Puja Benefit Pandit for Sarv Nav Graha Puja denotes the nine celestial bodies which are central to astrological calculations (and beliefs) (and not the nine planets as it is frequently erroneously translated).

The Sun, the Moon, Mars, Mercury, Jupiter, Venus, Saturn and the two shadow planets Rahu and Ketu constitute the Sarv grahas.The nine “grahas” or planets in our horoscope control our karma, our desires and their outcomes. Each of these nine planets exerts an influence in our lives, which is called “dasa” and it can be known from one’s horoscope. Sarv Graha Puja is undertaken to reduce the negative effects and improve the positive energies related to a person’s Satisfaction, Peace, spiritual wisdom, humane feelings and all round progress is what an be achieved through Graha Shanti Anushthan. This helps in building an environment whereby the positive ambience is created within the environment and helps in fulfilling of specific intentions. Popular Areas Hadapsar, Kothrud, Wakad, Viman Nagar, Pune City, Baner,  Shivaji Nagar, Pimpri, Aundh, Chakan Pune. The positive vibrations keep the evil forces at bay and hence brings in propserity and happiness within the family

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20 reviews for Pandit For NAVGRAH SHANTI PUJA

  1. Acharya Kamal Narayan Dwivedi

    Navgrah Puja: शनिदेव, सूर्य, गुरु, मंगल, चंद्रमा, बुध, शुक्र और राहु-केतु को नवग्रह कहा जाता है. इन ग्रहों को शांत रखने के लिए विशेष पूजा अर्चना की जरूरत होती है. जानिए किस ग्रह की कैसे पूजा करें.

    Navgrah Pooja: नौ ग्रहों के आशीर्वाद के लिए नवग्रह पूजा (Navgrah Puja) जरूरी मानी जाती है. मान्यता है कि दुर्भाग्य हटाने के लिए नौ ग्रहों के सभी नकारात्मक प्रभाव दूर करने और सुख-शांति के लिए नवग्रह पूजा होती है. जीवन में सफलता के लिए घर पर नवग्रह पूजा कराने का विशेष महत्व रहता है. नवग्रह वे प्रमुख ग्रह हैं, जिनका हमारे जीवन में बहुत महत्व है. ये मनुष्य की नियति तय करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं. नौ ग्रहों की अलग-अलग महत्ता है. ये ग्रह विशेष फलदायक होते हैं. इसलिए इनके पूजा का बहुत महत्व होता है.

    सूर्य
    सूर्य की पूजा से साहस-ताकत बढ़ती है. शत्रुओं पर प्रभुत्व, सफलता और यश, स्वास्थ्य और समृद्धि मिलती है. पुराने मर्ज भी दूर होते हैं. सूर्य की पूजा के दौरान ॐ हृां हीं सः सूर्याय नमः मंत्र का 7000 बार जाप करना चाहिए.

    चंद्रमा
    चंद्रमा की पूजा से मानसिक शांति, आकर्षक व्यक्तित्व, भावनाओं पर नियंत्रण होता है. यह धन, प्रसिद्धि और जीवन में सफलता के लिए फायदेमंद है.
    मंत्र: 11000 बार ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः का जाप करें.
    मंगल
    मंगल पूजा स्वास्थ्य, धन, शक्ति और समृद्धि देती है. दुर्घटनाओं, वारदात, हमले या कारावास की आशंका घटाती है. इसके लिए ॐ क्रां क्रीं क्रों सः भौमाय नमः मंत्र का जाप 10000 बार करें.

    बुध
    बुध की पूजा से ज्ञान, व्यावसायिक सफलता और वृद्धि मिलती है. धन, तंत्रिका तंत्र और शरीर के कार्यों से संबंधित बीमारियों से राहत मिलती है. इसके लिए मंत्र: ॐ ब्रां ब्रीं ब्रों सः बुधाय नमः का जाप 9000 बार करना चाहिए.

    बृहस्पति
    बृहस्पति की पूजा नकारात्मक, बुरी भावनाएं दूर करती है. पुण्य शक्ति और वीरता देती है. स्वास्थ्य और दीर्घायु, उच्च शिक्षा और दार्शनिक कौशल, धन और भाग्य, संतान संबंधी आशीर्वाद और धार्मिक प्रवृत्ति प्रदान करती हैं. इसके लिए मंत्र 19000 बार ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों सः गुरुवै नमः मंत्र का जाप करें.

    शुक्र
    शुक्र की पूजा अच्छे और मजबूत प्रेम और रिश्तों, लंबी उम्र, धन समृद्धि, शिक्षा, कला में उन्नति का आशीर्वाद देती है. इसके लिए मंत्र: ॐ द्रां द्रीं द्रों सः शुक्राय नम: का 16000 बार जाप करें.

    शनि
    शनि की पूजा मानसिक शांति, स्वास्थ्य ,खुशी और समृद्धि को बढ़ावा देती है. यह विपत्तियों के कारण कठिनाई की तीव्रता घटाने के लिए महत्वपूर्ण है. इसके लिए मंत्र: ॐ प्रां प्रीं प्रों सः शनैश्चराय नम:मंत्र का जाप, संध्या समय कुल 23000 बार किया करें.

    राहु
    राहु की पूजा दीर्घायु, शक्ति वृद्धि चीजों की गहरी समझ और उच्च सामाजिक प्रतिष्ठा प्रदान करती है. इसके लिए मंत्र: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों सः राहवे नमः मंत्र का जाप 18000 बार करें.

    केतु
    केतु की पूजा स्वास्थ्य, धन, भाग्य, घरेलू खुशी और भक्त की समृद्धि को बढ़ावा देती है. इस पूजा से जहरीले पदार्थों से होने वाली संपत्ति और मृत्यु के नुकसान की आशंका कम होती है. इसके लिए मंत्र ॐ स्रां स्रीं स्रों सः केतवे नमः मंत्र का जाप 17000 बार करें.

  2. AnthonyBiova

    रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और दीर्घायु प्रदान करता है। – मृत्यु, दुर्घटना और चोरी से बचाता है। – बुद्धि को बेहतर बनाने ke liye

  3. ChapligaTejas

    शुक्र की पूजा अच्छे और मजबूत प्रेम और रिश्तों, लंबी उम्र, धन समृद्धि, शिक्षा, कला में उन्नति का आशीर्वाद देती है.

  4. karan satla

    नवरात्रि की प्रतिपदा के दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना की जाती है। इसीलिए नवग्रह पूजा में प्रतिपदा के दिन मंगल ग्रह की शांति पूजा करनी चाहिए। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है। द्वितीय दिन ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से राहु ग्रह की शांति होती है।

  5. Suhas ji

    . सूर्य ग्रहों का राजा है। इसलिए देवाधिदेव भगवान् विष्णु की अराधना से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। सूर्य को जल देना, गायत्री मंत्र का जप करना, रविवार का व्रत करना तथा रविवार को केवल मीठा भोजन करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। सूर्य का रत्न ‘माणिक्य’ धारण करना चाहिए परंतु यदि क्षमता न हो तो तांबे की अंगूठी में सूर्य देव का चिह्न बनवाकर दाहिने हाथ की अनामिका में धारण करें (रविवार के दिन) तथा साथ ही सूर्य के मंत्र का 108 बार जप करें।

    ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः

    2. ग्रहों में चंद्रमा को स्त्री स्वरूप माना है। भगवान शिव ने चंद्रमा को मस्तक पर धारण किया है। चंद्रमा के देवता भगवान शिव हैं। सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं व शिव चालीसा का पाठ करें। 16 सोमवार का व्रत करें तो चंद्रमा ग्रह द्वारा प्रदत्त कष्ट दूर होते हैं। रत्नों में मोती चांदी की अंगूठी में धारण कर सकते हैं। चंद्रमा के दान में दूध, चीनी, चावल, सफेद पुष्प, दही (सफेद वस्तुओं) का दान दिया जाता है तथा मंत्र जप भी कर सकते हैं।

    ऊँ सों सोमाय नमः
    3. जन्मकुंडली में मंगल यदि अशुभ हो तो मंगलवार का व्रत करें, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ करें। मूंगा रत्न धारण करें या तांबे की अंगूठी बनवाकर उसमें हनुमान जी का चित्र अंकितकर मंगलवार को धारण कर सकते हैं। स्त्रियों को हनुमान जी की पूजा करना वर्जित बताया गया है। मंगल के दान में गुड़, तांबा, लाल चंदन, लाल फूल, फल एवं लाल वस्त्र का दान दें।

    ऊँ अं अंगारकाय नमः

    4. ग्रहों में बुध युवराज है। बुध यदि अशुभ स्थिति में हो तो हरा वस्त्र न पहनें तथा भूलकर भी तोता न पालें। अन्यथा स्वास्थ्य खराब रह सकता है। बुध संबंधी दान में हरी मूंग, हरे फल, हरी सब्जी, हरा कपड़ा दान-दक्षिणा सहित दें व बीज मंत्र का जप करें।

    ऊँ बुं बुधाय नमः

    5. गुरु : गुरु का अर्थ ही महान है- सर्वाधिक अनुशासन, ईमानदार एवं कर्त्तव्यनिष्ठ। गुरु तो देव गुरु हैं। जिस जातक का गुरु निर्बल, वक्री, अस्त या पापी ग्रहों के साथ हो तो वह ब्रह्माजी की पूजा करें। केले के वृक्ष की पूजा एवं पीपल की पूजा करें। पीली वस्तुओं (बूंदी के लडडू, पीले वस्त्र, हल्दी, चने की दाल, पीले फल) आदि का दान दें। रत्नों में पुखराज सोने की अंगूठी में धारण कर सकते हैं व बृहस्पति के मंत्र का जप करते रहें।

    ऊँ बृं बृहस्पतये नमः

    6. शुक्र असुरों का गुरु, भोग-विलास, गृहस्थ एवं सुख का स्वामी है। शुक्र स्त्री जातक है तथा जन समाज का प्रतिनिधित्व करता है। जिन जातकों का शुक्र पीड़ित करता हो, उन्हें गाय को चारा, ज्वार खिलाना चाहिए एवं समाज सेवा करनी चाहिए। रत्नों में हीरा धारण करना चाहिए या बीज मंत्र का जप करें।

    ऊँ शुं शुक्राय नमः

    7. सूर्य पुत्र शनि, ग्रहों में न्यायाधीश है तथा न्याय सदैव कठोर ही होता है जिससे लोग शनि से भयभीत रहते हैं। शनि चाहे तो राजा को रंक तथा रंक को राजा बना देता है। शनि पीड़ा निवृत्ति हेतु महामृत्युंजय का जप, शिव आराधना करनी चाहिए। शनि के क्रोध से बचने के लिए काले उड़द, काले तिल, तेल एवं काले वस्त्र का दान दें। शनि के रत्न (नीलम) को धारण कर सकते हैं।

    ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः

    8. राहु की राक्षसी प्रवृत्ति है। इसे ड्रेगन्स हैड भी कहते हैं। राहु के दान में कंबल, लोहा, काले फूल, नारियल, कोयला एवं खोटे सिक्के आते हैं। नारियल को बहते जल में बहा देने से राहु शांत हो जाता है। राहु की महादशा या अंतर्दशा में राहु के मंत्र का जप करते रहें। गोमेद रत्न धारण करें।

    ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।

    9. केतु राक्षसी मनोवृत्ति वाले राहु का निम्न भाग है। राहु शनि के साथ समानता रखता है एवं केतु मंगल के साथ। इसके आराध्य देव गणपति जी हैं। केतु के उपाय के लिए काले कुत्ते को शनिवार के दिन खाना खिलाना चाहिए। किसी मंदिर या धार्मिक स्थान में कंबल दान दें। रत्नों में लहसुनिया धारण करें।

    ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः

  6. Jairam Swami

    ग्रह शांति की विधियां

    नवग्रह पूजा कैसे करते हैं?
    नवग्रह की पूजा कब करनी चाहिए?
    नवग्रह शांति के लिए क्या करना चाहिए?
    ग्रह शांति की पूजा कैसे करें?
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    Navgrah Pooja: शनिदेव, सूर्य, गुरु, मंगल, चंद्रमा, बुध, शुक्र और राहु-केतु को नवग्रह कहा जाता है. इन ग्रहों को शांत रखने के लिए विशेष पूजा अर्चना की जरूरत होती है. जानिए किस ग्रह की कैसे पूजा करें. Navgrah Pooja: नौ ग्रहों के आशीर्वाद के लिए नवग्रह पूजा (Navgrah Puja) जरूरी मानी जाती है. मान्यता है कि दुर्भाग्य हटाने के लिए नौ ग्रहों के सभी नकारात्मक प्रभाव दूर करने और सुख-शांति के लिए नवग्रह पूजा होती है. जीवन में सफलता के लिए घर पर नवग्रह पूजा कराने का विशेष महत्व रहता है. नवग्रह वे प्रमुख ग्रह हैं, जिनका हमारे जीवन में बहुत महत्व है. ये मनुष्य की नियति तय करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं. नौ ग्रहों की अलग-अलग महत्ता है. ये ग्रह विशेष फलदायक होते हैं. इसलिए इनके पूजा का बहुत महत्व होता है.

  7. Kishor Jangid

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  8. Ravi

    The Navgrah Shanti Puja means worshipping all the nine planets. It is an auspicious ritual dating back to the ancient Vedic times. This is a very eminent puja where all the nine planets namely Surya, Chandra, Kuja or Mangal, Budh, Guru, Shukra, Shani, Rahu and Ketu are worshipped collectively. One can also perform puja for a specific planet.

  9. Ankit Verma

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  10. k n dwivedi

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  12. Rahul Joshi

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  13. Adinath Deshmukh

    नवग्रह स्त्रोत | Navagraha Stotra
    जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।
    तमोSरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोSस्मि दिवाकरम ।।

    दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम ।
    नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।।

    धरणी गर्भ संभूतं विद्युत्कान्ति समप्रभम ।
    कुमारं शक्ति हस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम ।।

    प्रियंगुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम ।
    सौम्यं सौम्य गुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम ।।

    देवानां च ऋषीणां च गुरुं का चनसन्निभम ।
    बुद्धि भूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पितम ।।

    हिम कुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम ।
    सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।

    नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम ।
    छायामार्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम ।।

    अर्धकायं महावीर्य चन्द्रादित्यविमर्दनम ।
    सिंहिकागर्भ संभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम ।।

    पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रह मस्तकम ।
    रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम ।।

  14. Aprna Pathak

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    नवग्रह पूजन का विशेष महत्व पुराणों में वर्णित है. नवग्रह-पूजन के लिए सर्वप्रथम ग्रहों का आह्वान करके उनकी स्थापना की जाती है. मंत्रो उच्चारण करते हुए ग्रहों का आह्वान करते हैं. धूप, अगरबत्ती, कपूर, केसर, चंदन, चावल, हल्दी, वस्त्र, जल कलश, पंच रत्न , दीपक, लौंग, श्रीफल, धान्य व दूर्वा इत्यादि वस्तुओं को पूजा में रखा जाता है.

    सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शानि, राहु एवं केतु इन नवग्रहों की पूजा के लिए सर्वप्रथम नवग्रह मण्डल निर्मित करना चाहिए जिसमें नौ कोष्ठक होते हैं. इन कोष्ठकों में नव ग्रहों को स्थापित किया जाता है दिशा के अनुरूप मध्य वाले कोष्ठक में सूर्य, आग्नेय कोण में चंद्र, दक्षिण में मंगल, ईशान में बुध, उत्तर में गुरू , पूर्व में शुक्र, पश्चिम में शानि, नैऋत्य में राहु और वायस्क में केतु ग्रह की स्थापना कि जानी चाहिए.

    स्थापना तथा आवाहन पश्चात नवग्रहों का षोडशोपचार पूजा करना चाहिए. ग्रहों के अनुरुप उन्हें वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए जैसे सूर्य की अनुकूलता प्राप्त करने के लिए गेहूं, गुड़ आदि का उपयोग करना चाहिए इनका उपयोग करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं.

    चंद्रमा मन और माता का कारक होता है अत: चंद्रमा की प्रसन्नता एवं शांति हेतु चीनी, दूध और दूध से बने पदार्थ और सफेद वस्तुओं को उपयोग में लाना तथा दान करना उत्तम होता है. इसके अतिरिक्त चमेली का इत्र या सुगंध चंद्रमा की शांति के लिए बहुत अनुकूल माने जाते हैं.

    मंगल ग्रह की पूजा एवं शांति के लिए गुड़, मसूर की दाल, अनार, जौ और शहद का उपयोग एवं दान करना चाहिए. लाल चंदन से बने इत्र, तेल मंगल देव को प्रसन्न करने हेतु बहुत शुभ होते हैं.

    बुध ग्रह की पूजा एवं शांति के लिए इलायची, हरी वस्तुएं चंपा, मटर, ज्वार, मूंग उपयोग में लाने चाहिए. चंपा का इत्र तथा तेल का प्रयोग बुध की शुभता के लिए उपयोगी होते हैं.

    बृहस्पति ग्रह की पूजा एवं शांति के लिए चना, बेसन, मक्का, केला, हल्दी, पीले वस्त्र और फलों का उपयोग करना चाहिए पीले फूलों की सुगंध, केसर और केवड़े की सुगंध भी गुरू के शुभ फलों में वृद्धि करती है.

    शुक्र ग्रह के लिए चीनी, कमलगट्टा, मिश्री, मूली और चांदी का उपयोग करना उत्तम होता है सफेद फूल, चंदन और कपूर की सुगंध भी अतिशुभ मानी गई है.

    शनि ग्रह की पूजा एवं शांति हेतु काले तिल, उड़द, कालीमिर्च, मूंगफली का तेल, लौंग तथा लोहे का उपयोग करना चाहिए कस्तुरी या सौंफ की सुगंध शनि देव को भेंट करनी चाहिए.

    राहु और केतु की पूजा के लिए उड़द, तिल और सरसों का प्रयोग लाभदायक होता है. कस्तुरी की सुगंध से शुभ फलों की प्राप्ति होती है

  15. Manisha Sinha

    नवग्रह पूजा
    ग्रहों के अशुभ प्रभाव के कारण जीवन में अनेक तरह की समस्‍याएं आती हैं। ग्रहों का प्रकोप इतना खतरनाक होता है कि कोई व्‍यक्‍ति अपने ही हाथों से खुद को बर्बाद कर लेता है। ग्रहों के अशुभ प्रभाव के कारण आपका जीवन नर्क बन सकता है।

  16. Prema Singh

    नवग्रह पूजन के लाभ -:
    नवग्रह पूजन से कोई एक ग्रह नहीं बल्कि पूरे नौ ग्रह प्रसन्‍न होते हैं और आपको एकसाथ नौ ग्रहों की कृपा प्राप्‍त होती है।
    अगर आपकी कुंडली में कोई ग्रह नीच या अशुभ स्‍थान में होकर बुरा प्रभाव डाल रहा है और इसके कारण आपके जीवन में अनेक कठिनाईयां आ रहीं है तो आपको नवग्रह पूजन अवश्‍य करवाना चाहिए।
    नवग्रह पूजन की सबसे खास बात यही है कि इसे कोई भी करवा सकता है। इस पूजन से आपकी कुंडली के सभी दोष शांत होते हैं।
    सुख-समृद्धि और मान-सम्‍मान की प्राप्‍ति के लिए आप नवग्रह पूजन करवा सकते हैं।
    पूजन सामग्री :
    धूप, फूल पान के पत्ते, सुपारी, हवन सामग्री, देसी घी, मिष्ठान, गंगाजल, कलावा, हवन के लिए लकड़ी (आम की लकड़ी), आम के पत्ते, अक्षत, रोली, जनेऊ, कपूर, शहद, चीनी, हल्दी और गुलाबी कपड़ा |

    नवग्रह दोष शांति पूजा
    नवग्रह दोष के निवारण हेतु पूजन की अनेक विधि हैं। सबसे उत्तम विधि वैदिक मंत्रों द्वारा किया जाने वाला विधान है। नवग्रह दोष की शांति के लिए नौ ग्रहों को उनके मंत्रों द्वारा शांत किया जाता है।

    पूजन का महत्‍व
    यह पूजा अथवा अनुष्‍ठान कराने से आपके महत्‍वपूर्ण कार्य संपन्‍न होते हैं। इस पूजा के प्रभाव से आपके जितने भी रुके हुए काम हैं वो पूरे हो जाते हैं। शारीरिक और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं। नौकरी, करियर और जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है।

    पूजन का समय :
    पूजा का समय शुभ मुहुर्त देखकर तय किया जाएगा।

    यजमान द्वारा वांछित जानकारी :
    नाम एवं गोत्र, पिता का नाम
    जन्म तारीख, स्थान
    पूजा का प्रसाद
    यंत्र और सूखा प्रसाद

  17. Aniruddha Deshmukh

    ब्रह्मांड में स्थित नवग्रहों का जातक पर जीवन भर निरंतर प्रभाव पड़ता रहता है। जन्म समय के ग्रहों की अवस्था के अनुसार प्रत्येक जातक को सुख या दु:ख मिलता है। यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में अशुभ ग्रह की स्थिति हो, अशुभ ग्रहों की दशा-अंतर्दशा चल रही हो, तो निम्नलिखित विधि अनुसार उन ग्रहों की शांति और सुख-समृद्धि हेतु उपाय करने से कल्याण होगा।

  18. Reva Chavan

    सूर्य-यह अग्नि तत्त्व है। सब ग्रहों का स्वामी होने से यह प्रशासक और बल है, जो दिशाओं में भ्रमण के कारण वातावरण में परिवर्तन करता है। यह वन और औषधि का कारक है।

    चंद्रमा-यह जल तत्त्व है और खाद्य पदार्थ, फसलों, औषधि और वनस्पति का कारक है। यह शांत ग्रह है।

    मंगल-यह अग्नि तत्त्व है। यह सेनापति, बल, शास्त्रास्त्र से संबंध रखता है। रक्त का कारक होने से यह दुर्घटनाएं भी देता है। युद्ध और यातायात भी यही देता है।

    बुध-युवराज होने से क्षेत्र के बच्चों, खेल, व्यापार, वायु प्रदूषण, वस्तु विनिमय का प्रतिनिधित्व करता है।

    बृहस्पति-यह आकाश तत्त्व है। शिक्षक, समुदाय, पुरोहित वर्ग, राजस्व, बैंक आदि का कारक है।

    शुक्र-यह जल तत्त्व है तथा महिलाओं का प्रतिनिधित्व करता है। नैतिकता, स्नेह व सौंदर्य आदि देता है।
    शनि-यह वायु तत्त्व है तथा मजदूर वर्ग और निम्न जाति का प्रतिनिधित्व करता है। खनिज और कृषि उत्पादन एवं नगर निगम आदि संस्थाओं का कारक है। सड़ांध उत्पन्न करने से कृषि जन्य संक्रामक रोग भी इसी के कारण होते हैं। मजदूरों द्वारा उद्योगों से कमाने वाले उद्योगपति और गृह त्याग तथा कष्ट सहन के कारण संन्यासी और विरक्त भी इसी ग्रह से बनते हैं।

    राहु–छाया ग्रह होने से यह पाप ग्रह माना जाता है। अत: यह पृथकतावादी ग्रह है। यह एकदम हानि, लाभ, दुर्घटना आदि का कारक बनता है। पशु हानि में इसका योग रहता है।

    केतु-यह राहु का ही प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन राहु से हमेशा सप्तम रहने के कारण उसका विपरीत फल भी देता है। यह पताका है, जिसका तात्पर्य है फल को अंतिम छोर तक पहुंचाना।
    स्नान-हमारे देश में अनेक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान हैं जैसे प्रयाग, पुरी, काशी, हरिद्वार, गया, मथुरा, उज्जैन, रामेश्वरम आदि। पावन तीर्थ स्थान को स्वर्ग का प्रवेश द्वार कहा जाता है। महाकुंभ, अर्द्धकुंभ आदि मेलों में पावन तीर्थ स्थलों में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। यमुना नदी में स्नान करने से यमराज से भेंट नहीं होती। माघ सप्तमी में कोणार्क सागर में डुबकी मारने से लाखों जन्मों के पाप नष्ट होते हैं। गंगा नदी तो पापनाशिनी है ही। तीर्थ स्थानों पर औषधि युक्त जल से स्नान करने पर चमत्कारी फल मिलते हैं। ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए निर्दिष्ट औषधियों से स्नान करना चाहिए। पवित्र नदियों में स्नान कर मंदिरों में देवी-देवता के दर्शन करने से जातक को तत्काल फल प्राप्त होता है।

    व्रत-जब लोग ग्रहों के अशुभ प्रभाव से पीड़ित होते हैं तो किसी ज्योतिषी के पास जाकर उससे मुक्ति का उपाय पूछते हैं। उनके लिए एकमात्र उपाय व्रत है। सोमवार को चंद्र का व्रत, मंगलवार को मंगल का, बुधवार को बुध का, गुरुवार को गुरु का, शुक्रवार को शुक्र का, शनिवार को शनि का और रविवार को सूर्य का व्रत रखने का विधान है।

  19. sudem shinde

    सूर्य और शनि समेत नौ ग्रहों को शांत करने के लिए करें ये उपाय, नहाने के पानी में इन चीजों को मिलाएं
    सूर्य और शनि समेत सभी नौ ग्रहों को शांत करने के लिए आपको अपने नहाने के पानी में कुछ खास चीजों को मिलाना चाहिए. इससे आपको लाभ होगा.
    सूर्य सिंह राशि के स्वामी हैं. ऐसे में इन राशि के लोगों को जिनकी कुंडली में सूर्य का प्रभाव सही न हो उन लोगों को भी नहाने के पानी में रोजाना इलायची, केसर, लाल चंदन, मुलेठी या लाल रंग का कोई फूल मिलाकर स्नान करना चाहिए. इससे सूर्य ग्रह शांत हो जाते हैं और उनका अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता.
    ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को कर्क राशि का स्वामी माना गया है. लिहाजा कर्क राशि वालों को और जिनकी कुंडली में चंद्रमा का अशुभ प्रभाव हो उन लोगों को भी अपने नहाने के पानी में सफेद चंदन या सफेद रंग का कोई फूल मिलाकर स्नान करना चाहिए. ऐसा करने से चंद्रमा का बुरा प्रभाव दूर हो जाता है.
    मंगल मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी हैं. लिहाजा इन राशि के लोगों को और जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह का प्रभाव अशुभ हो उन्हें नहाने के पानी में लाल चंदन, हींग और गुलाब का फूल मिलाकर नहाना चाहिए.
    बुध ग्रह को कन्या और मिथुन राशि का स्वामी माना जाता है. ऐसे में इन दो राशि के लोगों को और जिनकी कुंडली में बुध ग्रह का बुरा प्रभाव हो उसे दूर करने के लिए नहाने के पानी में शहद, जायफल और चावल मिलाकर स्नान करना चाहिए. इससे ग्रह शांत होता है और शरीर स्वस्थ रहता है.
    गुरु को धनु और मीन राशि का स्वामी माना जाता है. अगर कुंडली में गुरु ग्रह का अशुभ प्रभाव हो तो नहाने के पानी में हल्दी, शहद और चमेली के फूल की पंखुड़ियां मिलाने से गुरु ग्रह शांत हो जाते हैं.
    वृषभ और तुला राशि का स्वामी माना जाता है शुक्र ग्रह को. ऐसे में शुक्र ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए या अगर कुंडली में शुक्र ग्रह अशुभ हो तो नहाने के पानी में जायफल, इलायची, चंदन और दूध मिलाकर स्नान कर सकते हैं.
    नि को मकर और कुंभ राशि का स्वामी माना जाता है. बहुत से लोगों की कुंडली में शनि भारी होता है या उसका अशुभ प्रभाव होता है. इससे बचने के लिए नहाने के पानी में सौंफ, काला तिल या खसखस मिलाकर स्नान करें.
    राहु और केतु के अशुभ प्रभाव को दूर करने और उन्हें शांत करने के लिए नहाने के पानी में दूर्वा, लाल चंदन और लोबान मिलाकर स्नान कर सकते हैं.
    राहु और केतु के अशुभ प्रभाव को दूर करने और उन्हें शांत करने के लिए नहाने के पानी में दूर्वा, लाल चंदन और लोबान मिलाकर स्नान कर सकते हैं.

  20. Suresh potre

    गुरूजी के उपाय
    इन छोटे-छोटे उपायों से करें नवग्रहों को प्रसन्न
    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार धरती के प्रत्येक प्राणी चाहे वह मनुष्य हो या पशु-पक्षी, पेड़-पौधे हो या निर्जीव वस्तुएं सभी पर ग्रहों का प्रभाव समान रूप से पड़ता है। चंद्रमा की कलाएं बदलते ही समुद्र में ज्वार-भाटा आ जाता है। ग्रहों की चाल बदलते ही प्राकृतिक आपदाएं आ जाती हैं तो सोचिए मनुष्य पर इनका कितना प्रभाव पड़ता है।
    नवग्रह पूजा का विधान मनुष्य के जीवन में कोई बाधा न आए, वह उम्रभर स्वस्थ रहे, धन-धान्य से भरपूर रहे इसके लिए हमारे शास्त्रों में नवग्रह पूजा का विधान बताया गया है। मनुष्य के जीवन में जब कोई संकट आता है तो उसे नवग्रह शांति कराने को कहा जाता है। नवग्रह शांति पूजा हिंदू परिवारों में नवग्रह शांति पूजा सर्वाधिक प्रचलित है। जब परिवार पर कोई मुश्किल घड़ी आए, बनते काम बिगड़ने लगे, आर्थिक संकट बना रहे, परिवार में कोई न कोई रोगी हो तो नवग्रह शांति करवाना चाहिए। इसके लिए नवग्रह शांति हवन, यज्ञ करवाया जाता है। इसमें सभी नौ ग्रहों के प्रतिनिधि वृक्षों के पंचगव्यों यानी फूल, पत्ते, डाल, छाल और जड़ को समिधा के रूप में उपयोग किया जाता है। नवग्रहों से संबंधित अनाज और सामग्रियों से आहूति दी जाती है। अलग-अलग कार्यों के हिसाब से अलग-अलग संख्या में मंत्रों से आहूति दी जाती है। ऐसा करने से नवग्रहों की शांति होती है।
    नवग्रह यंत्र की स्थापना घर या प्रतिष्ठान आदि में सिद्ध किए हुए नवग्रह यंत्र की स्थापना ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति दिलाती है। खासकर जिन लोगों के व्यापार में लगातार हानि हो रही हो। कठिन परिश्रम के बावजूद नौकरी में तरक्की नहीं हो पा रही हो। कार्यस्थल पर उच्च अधिकारी पीड़ा दे रहे हों या आपके विपरीत चल रहे हों तो नवग्रह यंत्र की स्थापना कर नियमित इसके सामने नवग्रह स्तोत्र का पाठ या नवग्रहों के बीज मंत्रों का जाप करने से परिस्थितियां आपके अनुकूल होने लगती हैं। संकट के बादल छंटने लगते हैं और तरक्की आपके कदम चूमने लगती है।
    नवग्रह अंगूठी या पेंडेंट परिवार और सामाजिक स्थिति में यदि आपको मान-सम्मान नहीं मिल रहा हो। आपको कहीं महत्व नहीं मिल रहा हो। आपके निर्णय की किसी को परवाह नहीं, यदि ऐसी स्थिति हो तो नवग्रह की अंगूठी या पेंडेंट धारण किया जाता है। नवग्रह अंगूठी में सभी ग्रहों के रत्नों को एक विशेष क्रम और ग्रहों की दिशाओं के अनुसार अंगूठी में जड़ा जाता है। इसे पहनने से पहले शुद्धिकरण आवश्यक है। किसी भी दिन प्रातःकाल अंगूठी को अपने पूजन स्थान में गंगाजल, कच्चे दूध से धोएं। इसके बाद नवग्रह स्तोत्र का जाप करें। धूप-दीप, पुष्प अर्पित करें और अपने समस्त कार्यों की सिद्धि की कामना के साथ अंगूठी या पेंडेंट को धारण करें। इससे तुरंत और प्रभावी लाभ दिखाई देने लगेगा।
    नवग्रह वाटिका पूजन ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों का एक-एक वृक्ष या पौधा बताया गया है। कई शहरों में नवग्रह वाटिका बनाई जाने लगी है, जहां सभी ग्रहों के पेड़-पौधों को विधान के अनुसार लगाया जाता है। नवग्रह वाटिका में जाकर पेड़ों का पूजन किया जाता है। नवग्रह वाटिका में बैठकर मंत्र जप करने का चमत्कारिक लाभ होता है। इससे मंत्रों का प्रभाव कई गुना और जल्दी मिलता है।

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